Ram Mandir Full Story: श्री राम मंदिर अयोध्या – इतिहास से वर्तमान तक सबके लिए जानना जरुरी

Ram Mandir Full Story: अयोध्या राम मंदिर: टेंट से भव्य मंदिर तक का सफर:

Ram Mandir Full Story: अयोध्या का हृदय, भगवान राम की धरती, यहाँ पर हर कोई राम जी के प्यार में खोया हुआ है। यहाँ राम जन्मभूमि है, जहाँ भगवान राम ने जन्म लिया और अपना दिव्य रूप दिखाया था, और इसी सब के बीच सभी लोगो को इंतजार है – 22 जनवरी, 2024, जब इस दिव्य स्थल का उद्घाटन होगा। अयोध्या राम मंदिर, जिसे बनाने का फैसला 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने किया, न सिर्फ एक मंदिर है, बल्कि यह एक भगवान के साथ अटूट जुड़ाव भी है। यह एक स्थान है जहाँ धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत ने अपने पैरों को जमीन पर रखा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महत्वपूर्ण क्षण के लिए तैयारी का आयोजन किया है, जो 12 जनवरी, 2024 से शुरू हो रहे हैं। इस 11 दिवसीय अनुष्ठान और Ram Mandir Full Story के दौरान हम सभी एक-दूसरे के साथ राम की कहानी और मंदिर के महत्वपूर्ण पहलुओं को साझा करेंगे। 22 जनवरी को होने वाले “प्राण प्रतिष्ठा” समारोह में हम सभी मिलकर इस अद्वितीय पल का समर्पण करेंगे, जब राम मंदिर पर गर्व होगा।

इस सांस्कृतिक अभिषेक से शुरू होकर, हम इस धार्मिक और सांस्कृतिक निधि को समझेंगेआइये, इस सुप्रभात को और भी रंगीन, और हम सभी मिलकर इस महत्वपूर्ण पल को स्थायी बनाएं। राम मंदिर के बारे में ऐसे कई रोचक तथ्य हैं जो आपको जानना चाहिए, तो जल्दी से इस यात्रा में हमारे साथ जुड़ें!

Ram Mandir Full Story and History: सफर की शुरुवात राम मंदिर के प्राचीन इतिहास: (1528 – 2024)

वैसे तो प्रभु श्री राम का इतिहास हज़ारो लाखो साल पुराना है और हिन्दू धर्म में उन्हे पुरसोत्तम की उपाधि दी गयी है। लेकिन Ram Mandir Full Story में आज हम इतिहास जानेंगे जब से विवाद का जन्म हुआ। तो बने रहिये इस सफर पर:

1600 में, जब समय अपनी धारा में बह रही थी, तभी बाबर ने एक पुरातात्विक कहानी का आरंभ किया, जिसका नाम था – “बाबरी मस्जिद की कहानी”.

1767 में, “डिस्क्रिप्टियो इंडिया” के पन्नों में, हम एक सम्पूर्ण सृष्टि को जानने का सफर करते हैं, जब यहाँ की मस्जिद का सबसे पहला रिकॉर्ड मिलता है। विवरणों में छिपी

रही उन सुंदर चित्रों में, सांस्कृतिक मेलजोल की कहानी उभरती है।

1853 में, जब हम इतिहास खंगालने पर हिंसा की पहली गतिविधि का दस्तावेज मिलता है।

1858 में, ब्रिटिश संघ की शासन-व्यवस्था ने हिंदू अनुष्ठानों पर प्रतिबंध लगा दिए जाते है।

1949 में, विचित्र रहस्यमय घटना का साल है, जब बाबरी मस्जिद के अंदर राम और सीता की मूर्तियां मिलती है।
Babri Masjid Image in 1949

1950 में, जब राज्य ने मस्जिद पर कब्जा किया; हिंदुओं ने अपनी पूजा की अनुमति दी, एक नए धरोहर के लिए रास्ता बनाते हुए।

1980 के दशक में, जब समय ने विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के साथ एक नया किस्सा रचने का आदान-प्रदान किया, वहाँ हम भी एक नए युग की शुरुआत का साक्षात्कार करते हैं।

1989 में, जब विहिप (विश्व हिन्दू परिसद) नेताएं विवादित स्थल के निकट शिलान्यास करते हैं, हमें एक नयी शुरुआत की खबर सुनाई देती है, जैसे कि सृष्टि की नींव की तय की जा रही हो।

1992 में, जब एक रैली के दौरान मस्जिद का विध्वंस होता है, वहाँ एक अंतर-सांप्रदायिक हिंसा का आरंभ हो जाता है। कहानी में एक नया मोड़ आता है, जहाँ विभिन्न समुदायों के बीच तनाव तेज होता है।

2005 में, जब अस्थायी राम मंदिर पर एक आतंकवादी हमला होता है, तब स्थानीय वीर बलिदान देते हैं। यहाँ हम सिखते हैं कि धरोहर की रक्षा के लिए कितना महत्वपूर्ण युद्ध हो सकता है।

2019 में, जब सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया, वहाँ श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को जमीन सौंपी गई। यह फैसला नये समय की शुरुआत की ओर एक कदम होता है, जिसमें सभी समुदायों को साथ लेकर चलने का आह्वान दिखाई देता है।

2020 में, जब सरकार ने मंदिर निर्माण की योजना को मंजूरी दी, तब धन्नीपुर गांव में नई मस्जिद के लिए जमीन आवंटित हुई, हम समझते हैं कि एक नई शुरुआत और एक नई सागा तैयार हो रही है। जिसमें सभी धरोहरों की मिलनसर आवाज है, जो एक सशक्त भविष्य की ओर एक साथ बढ़ रहे हैं।

राम मंदिर आंदोलन: Ram Mandir Movement

आरंभ (1984): यह बात 1984 की है, जब विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में राम जन्मभूमि आंदोलन उभरा। इसका उद्देश्य था अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान को पुनः प्राप्त करना। इस आंदोलन का आरंभ एक सजीव भारतीय समाज की भूमि में हुआ था, जहां हर किसी ने अपनी आस्था के लिए मिलकर खड़ा हो जाने का संकल्प किया।

विध्वंस (1992): 1992 में उत्तेजक रैली ने इस आंदोलन को और भी उच्चता प्रदान की। इस रैली के चलते स्वयंसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। यह एक ऐतिहासिक क्षण था जिसने भारतीय राजनीति को गहरे परिवर्तन की दिशा में प्रेरित किया।

अयोध्या विवाद कानूनी यात्रा (2002): 2002 में शुरू हुई इस कानूनी यात्रा ने आंदोलन स्थल के नियंत्रण के चारों ओर उत्तेजना बढ़ाई। इसके चलते इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले ने भूमि को सुन्नी बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा, और हिंदू पक्ष के बीच विभाजित किया।

कोर्ट का फैसला (2019): 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें यह कहा गया कि मस्जिद से पहले उस स्थान पर एक हिंदू मंदिर मौजूद था। इस फैसले के बाद, भारत सरकार ने राम मंदिर की निर्माण के लिए एक विशेष ट्रस्ट गठित किया, जिसका नाम है “श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र”।

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश (2019): सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले ने इस विवाद को अंत करने का निर्देश दिया और एक वैकल्पिक स्थान प्रदान किया जाने का निर्देश दिया। अदालत ने भूमि को हिंदू मंदिर के लिए आवंटित किया और सरकार को एक ट्रस्ट के माध्यम से मंदिर निर्माण की निगरानी करने का निर्देश दिया।

ट्रस्ट की स्थापना: भारत सरकार ने 5 फरवरी 2020 को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रबंधन और निर्माण के लिए एक विशेष ट्रस्ट स्थापित किया। इस ट्रस्ट का नेतृत्व महंत नृत्य गोपाल दास कर रहे हैं।

राम मंदिर आंदोलन की यह दास्तान है एक वीर भारतीय समुदाय की, जिसने अपनी आस्था और समर्पण से एक समृद्धि और एकता की ओर बढ़ते कदम उठाए।

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